उत्तराखंड उच्च न्यायालय की भागीरथी पर बांध को मंजूरी
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने उत्तरकाशी में भागीरथी पर 600 मेगावाट लोहारी नागपाला पनबिजली परियोजना को रोकने के केंद्र सरकार के फैसले को आज निलंबित कर दिया।
न्यायमूर्ति पीसी पंत और बी एस वर्मा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने देहरादून स्थित एक गैर सकारी संगठन, रूरल लिटिगेशन एंड एंटाइटेलमेंट केन्द्र के द्वारा दायर की गई एक याचिका पर अंतरिम राहत देते हुए यह फैसला सुनाया। इस संगठन ने केंद्र द्वारा पिछले सप्ताह रोके गए प्रोजेक्ट को पुनः शुरु करने की मांग की गई थी।
पहले भी प्रो. जीडी अग्रवाल ने उत्तरकाशी में जून'08 में अनिश्चितकालीन अनशन किया था जिसमें उन्होंने उत्तरकाशी और गंगोत्री में हर तरह की विद्युत परियोजनाओं को रोकने की मांग की थी।
उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने अपनी दो बड़ी परियोजनाओं पाला मनेरी और भैरोंघाटी को रोक दिया था। रूरल लिटिगेशन एंड एंटाइटेलमेंट केन्द्र ने पहले भी राज्य सरकार के इस फैसले को नैनीताल उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।
राज्य सरकार के द्वारा परियोजनाओं पर काम के निलंबन के बाद केंद्रीय सरकार ने गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित कर दिया और नदी की जमीनी सच्चाई का पता लगाने के लिए एक उच्च स्तरीय विशेषज्ञ दल का भी गठन किया जिसे पानी की उपलब्धता और प्रो. अग्रवाल द्वारा उठाए गए विरोधों की जांच और अनुशंसाएं करनी थी। विशेषज्ञ दल ने कहा कि भागीरथी में 16 क्यूमेक पानी हर समय होना चाहिए। इस बीच लोहारी नागा प्रोजेक्ट पर एनटीपीसी का काम जारी रहा।
प्रो. अग्रवाल ने पुनः विशेषज्ञ दल के गठन पर आपत्ति जताई और 13 जनवरी को फिर से नई दिल्ली में अनशन शुरु कर दिया था। ऐसा लगता है कि सरकार आने वाले चुनावों में गंगा को मुद्दा नहीं बनने देना चाहती शायह इसीलिए काम को रोक दिया गया है।
Tags - The Uttarakhand High Court, 600-MW Lohari Nagpala hydel project on the Bhagirathi river in Uttarkashi, Rural Litigation and Entitlement Kendra (RLEK), Dehra Dun-based NGO, Prof G.D.Agarwal, central government declared Ganga as a national river,
न्यायमूर्ति पीसी पंत और बी एस वर्मा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने देहरादून स्थित एक गैर सकारी संगठन, रूरल लिटिगेशन एंड एंटाइटेलमेंट केन्द्र के द्वारा दायर की गई एक याचिका पर अंतरिम राहत देते हुए यह फैसला सुनाया। इस संगठन ने केंद्र द्वारा पिछले सप्ताह रोके गए प्रोजेक्ट को पुनः शुरु करने की मांग की गई थी।
पहले भी प्रो. जीडी अग्रवाल ने उत्तरकाशी में जून'08 में अनिश्चितकालीन अनशन किया था जिसमें उन्होंने उत्तरकाशी और गंगोत्री में हर तरह की विद्युत परियोजनाओं को रोकने की मांग की थी।
उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने अपनी दो बड़ी परियोजनाओं पाला मनेरी और भैरोंघाटी को रोक दिया था। रूरल लिटिगेशन एंड एंटाइटेलमेंट केन्द्र ने पहले भी राज्य सरकार के इस फैसले को नैनीताल उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।
राज्य सरकार के द्वारा परियोजनाओं पर काम के निलंबन के बाद केंद्रीय सरकार ने गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित कर दिया और नदी की जमीनी सच्चाई का पता लगाने के लिए एक उच्च स्तरीय विशेषज्ञ दल का भी गठन किया जिसे पानी की उपलब्धता और प्रो. अग्रवाल द्वारा उठाए गए विरोधों की जांच और अनुशंसाएं करनी थी। विशेषज्ञ दल ने कहा कि भागीरथी में 16 क्यूमेक पानी हर समय होना चाहिए। इस बीच लोहारी नागा प्रोजेक्ट पर एनटीपीसी का काम जारी रहा।
प्रो. अग्रवाल ने पुनः विशेषज्ञ दल के गठन पर आपत्ति जताई और 13 जनवरी को फिर से नई दिल्ली में अनशन शुरु कर दिया था। ऐसा लगता है कि सरकार आने वाले चुनावों में गंगा को मुद्दा नहीं बनने देना चाहती शायह इसीलिए काम को रोक दिया गया है।
Tags - The Uttarakhand High Court, 600-MW Lohari Nagpala hydel project on the Bhagirathi river in Uttarkashi, Rural Litigation and Entitlement Kendra (RLEK), Dehra Dun-based NGO, Prof G.D.Agarwal, central government declared Ganga as a national river,
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