Friday, January 29, 2010

No flag hosting at Lal chouk shreenagar Y ?





चला गया यह गणतंत्र दिवस - फिर आएगा फिर मनाएंगे




६० वर्ष पूर्ण हो गए हमारे गणतंत्र दिवस को । हर वर्ष आता है और हम हर वर्ष मनाते भी है । बड़ी बड़ी बातें कर जाते है देश को नसीहते दे जाते है । धरातल से परे बातें अच्छी कर जाते है । प्रिंट एवं इलेक्ट्रोनिक मीडिया को मिल जाता है मसाला हमें परोसने का । आम जन का जुडाव सच्चे मन से कम होता लगता है यह कडवा सच है । और इस कडवे सच की परिणिति भयावह होगी । जिस देश में राष्ट्रीयता की भावना में जब जब कमी आई है तब तब उसे परिणाम भुगतने पड़े है ।


कारणों की तह में जायेंगे , बहुत कारण मिल जायेंगे - मगर निराकरण कैसे होगा ? इस देश को सत्तालोलुपता की भयावहता से बचाना होगा । सत्ता की खातिर राष्ट्र की संप्रभुता से खिलवाड़ , तुष्टिकरण को गले लगाकर राष्ट्र धारा में आने की चाहत को रोकना , आपस में गहरी खाई पैदा करने की साजिश ताकि आम जन इन समस्याओ को ही देख पाए इससे ऊपर उसे सोचने का अवसर ही नही मिल पाए।


दिल में दर्द क्यों नही होगा जब यह जानकारी मिलती है कि श्रीनगर के लाल चौक में १९ वर्षो में पहली बार राष्ट्र ध्वज नही फहराया गया। मुझे जहाँ तक याद आता है १९९० मेंअखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् ने उस समय कि विषम परीस्थितियों में आन्दोलन के तहत लाल चौक में जान की परवा न कर राष्ट्रीय ध्वज फहराने फहराने फहराने फहराने फहराने की थी मगर तत्कालीन सरकार ने इस राष्ट्रवादी संगटन को इज़ाज़त नही । उधमपुर में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के कार्यकर्ताओ को गिरफ्तार कर लिया गया था । विद्यार्थी परिषद् को श्रीनगर जाकर राष्ट्रीय ध्वज पहराने से रोका गया । ऐसा तो होता है इस देश में।

१९९१ में मुरली मनोहर जोशी ने लाल चौक के घंटाघर में तिरंगा फहराया तब से हर वर्ष गणतंत्र दिवस तथा स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता ।

इस सरकार को ऐसा कैसा लगा की कश्मीर में सब सामान्य सा हो गया है इस लिए सेना वापसी का निर्णय लिया , १९ वर्षो से लहरा रहा तिरंगा इस बार नहीं लहराया यह तो असामान्य ही है।

हमें इस विषय को हल्का नहीं लेना चाहिए इस तरह करते रहे तो नापको के होसले बुलंद होते रहेंगे।


प्रफुल्ल मेहता
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VSK
Jodhpur Prant
http://www.vskjodhpur.blogspot.com/




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