राष्ट्रीय जल नीति मसौदे पर पुनर्विचार जरूरी: आरएसएस
राष्ट्रीय जल नीति मसौदे पर पुनर्विचार जरूरी: आरएसएस
अहमदाबाद। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ(आरएसएस) के प्रान्त संघचालक डॉ. जयंती भाई भाडेसिया ने कहा कि राष्ट्रीय जल नीति प्रारूप(मसौदा) 2012 पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए। केन्द्र व कुछ राज्य सरकारों द्वारा अन्य पिछड़े वर्गो के 27 प्रतिशत आरक्षण में से अल्पसंख्यकों को साढ़े चार फीसदी हिस्सा देने का निर्णय संविधान विरोधी है। इसे पूरे देश को एक जुट होकर ठुकराना चाहिए।
भाडेसिया ने कहा कि उपरोक्त दोनों मुद्दों को लेकर पिछले दिनों नागपुर में आयोजित संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में भी प्रस्ताव पारित किया गया है। इसके तहत गुजरात प्रान्त इकाई अगले दिनों इन दोनों मुद्दों को लेकर जनजागरूकता अभियान चलाएगी। भाडेसिया ने कहा कि देश की प्राकृतिक सम्पदा समस्त जीव सृष्टि की पवित्र विरासत है।
इससे अपने जलसंशाधन, मिट्टी, वायु, खनिज सम्पदा, पशुधन, जैव विविधता व अन्य प्राकृतिक संसाधनों को व्यापारिक साधन के रूप में नही देखा जाना चाहिए, किन्तु केन्द्र सरकार ने हाल ही में प्रसारित राष्ट्रीय जल नीति-2012 में जल को जीवन के आधार के रूप में वर्णित करने के साथ ही बड़ी चतुराई से विश्व बैंक व बड़ी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के सुझाए व्यापारिक प्रतिरूप की क्रियान्विति के प्रस्तावों में शामिल कर दिया। जल नीति के नवीन प्रारूप में जल का शुल्क लागत आधारित करने व जल उपयोग को नियçन्त्रत करने के नाम पर यह प्राकृतिक सम्पदा जनसाधारण की पहंुच से बाहर हो जाएगा।
1 comment:
Aum should be made a national symbol, a symbol for the mankind in its entirety.
Regards, central government jobs
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