गोहत्या
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alpeshghodasara
गो हत्या का काला अध्याय
- १७६० – राबर्ट क्लाइव ने कोलकाता में पहला कसाईखाना खोला ।
- १८६१ – रानी विक्टोरिया ने भारत के वाइसराय को लिख कर गायों के प्रति भारतीयों की भावनाओं को आहत करने को उकसाया ।
- १९४७ – स्वतंत्रता के समय भारत में ३०० से कुछ अधिक कल्लगाह थे । आज ३५,००० अधिकृत और लाखों अनधिकृत वधशालाएँ हैं ।
- गाय की प्रजातियाँ ७० से घटकर ३३ रह गई हैं । इनमें भी कुछ तो लुप्त होने के कगार पर हैं ।
- स्वतंत्रता के बाद गायों की संख्या में ८० प्रतिशत की गिरावट आई है ।
- १९९३-९४ भारत ने १,०१,६६८ टन गोमांस निर्यात किया । १९९४-९५ का लक्ष्य दो लाख टन था ।
- हम वैनिटी बैग और बेल्ट के लिये गाय का चमड़ा, मन्जन के लिये हड्डियों का चूर्ण, विटामिन की गोलियों के लिये रक्त और सोने-चांदी के वर्कों हेतु बछड़े की आंतें पाने के लिये गो हत्या करते हैं ।
- ऐसा समझा जाता है कि १९९३ में लातूर और १९९४ में बिहार जैसे भूकंपों के पीछे गो हत्या का कारण है ।
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