Wednesday, May 9, 2012

आदिवासी राष्ट्रपति?


POSTED BY: DR.VAIDIK ON: MAY 8 2012 • CATEGORIZED IN: ARTICLES

नया इंडिया, 08 मई 2012: राष्ट्रपति के लिए रोज ही नए-नए नाम चर्चा में आ रहे हैं| इस तरह के मुद्दे भी उठ रहे हैं कि राष्ट्रपति सर्वसम्मति से चुना जाए या नहीं? वह राजनीतिक हो या गैर-राजनीतिक? वह सत्तारूढ़ गठबंधन का हो या विपक्षी गठबंधन का? अब एक नई मांग उठ गई है| वह यह कि इस बार हमारा राष्ट्रपति कोई आदिवासी होना चाहिए| इस अपील पर विभिन्न पार्टियों के आदिवासी नेता एक हो गए हैं|
उनका सबसे बड़ा तर्क यह है कि लगभग सभी प्रमुख तबकों के लोग राष्ट्रपति बन चुके हैं लेकिन आज तक कोई भी आदिवासी राष्ट्रपति नहीं बन सका| देश में सात सौ जन जातियां हैं और आदिवासियों की संख्या दस करोड़ से भी ज्यादा है| आखिर उनमें से किसी को शिखर तक पहुंचने का मौका मिलेगा या नहीं? यों भी आदिवासी जिलों में नक्सलियों के बढ़ते हुए प्रभाव के परिप्रेक्ष्य में एक आदिवासी राष्ट्रपति का होना काफी प्रासंगिक रहेगा|
यदि कोई सुपात्र् आदिवासी मिल जाए और वह राष्ट्रपति बन जाए तो कौन खुश नहीं होगा? भारत तो एक सर्वसमावेशी गणतंत्र् है लेकिन यह समझना बहुत बड़ी भूल है कि यदि कोई आदिवासी सज्जन राष्ट्रपति बन गए तो वे आदिवासियों का अपूर्व कल्याण कर देंगे| पहली बात तो यह कि राष्ट्रपति की शक्तियां बहुत ही सीमित होती हैं और फिर आदिवासियों के साथ पक्षपात करके क्या वे अपने पद की शपथ को भंग करेंगे? उन्हें सारे देश की पक्षपातरहित सेवा करनी है, न कि किसी जाति या प्रांत विशेष की! ज्ञानी जैलसिंह सिख थे लेकिन ऑपरेशन ब्ल्यू स्टार के दौरान वे क्या कर सके? फखरूद्दीन अली अहमद मुसलमान थे लेकिन आपात्काल में मुसलमानों की वे कितनी मदद कर सके? इसके अलावा आदिवासी राष्ट्रपति की मांग करनेवाला कोई कांग्रेसी सांसद क्या किसी भाजपाई आदिवासी उम्मीदवार के लिए अपनी पार्टी छोड़ने को तैयार होगा? यदि कांग्रेस किसी आदिवासी उम्मीदवार को खड़ा कर दे और भाजपा न करें तो क्या भाजपाई सांसद अपनी पार्टी का अनुशासन तोड़कर कांग्रेसी उम्मीदवार को वोट दे देंगे?
यदि अपने गणतंत्र को हमें स्वस्थ रखना है तो हमें जात, मजहब, प्रांत, भाषा, क्षेत्र् आदि के संकीर्ण स्वार्थों से ऊपर उठकर योग्य व्यक्ति को राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री बनाने की मांग करनी चाहिए| अल्पसंख्यकों और आदिवासियों के नाम पर मोटी नौकरी झपटने से न देश का कुछ लाभ होगा और न ही उनका, जिनकी ओट में आप अपना शिकार खेलना चाह रहे हैं|


No comments: