Wednesday, December 19, 2012

Hindi Bhashya from M G Vaidya




कोई लंगड़ा मनुष्य जीता है, वैसे हम जिये. फिर आँखें गई. एक वर्ष बाद लौटकर आई और पूछा, तुम मेरे बिना कैसे रहे? अन्य ने कहा, जैसे कोई अंधा रहता है, वैसे हम रहे. इसी प्रकार क्रमश: कान, वाणी ने भी एक वर्ष बाहर वास्तव्य किया. वापस आने पर उन्हें उत्तर मिला कि, बहरे, गूँगे जैसे रहते है, वैसे हम रहे. फिर प्राण ने जाने की तैयारी की. तब, सब इंद्रिय हडबडा गई. उन्होंने मान्य किया कि प्राण ही सर्वश्रेष्ठ है.

 

राष्ट्र श्रेष्ठ

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