Wednesday, July 16, 2014

पुस्तकीय ज्ञान


 

मूस्लाधार बरसात के चलते एक गांव पानी में डूबने लगा। इसलिए लोगों ने एक सुरक्षित स्थान पर जाने के लिए कूच किया। कूच करने वालों में से एक गणितज्ञ बाबू भी थे। वे अपने बड़े से कुटुम्ब के साथ दूसरे किसी स्थान पर जा रहे थे।

रास्ते में एक नदी पड़ी। नदी में उतरने से पहले,उनके गणितज्ञ भरे दिमाग में एक विचार आया,वे तरुन्त अपनी लाठी हाथ में उठाकर चल पड़े-जगह-जगह से पानी जांचने। फिर उन आंकड़ों पर अनेक प्रकार के गणित के नियम लगाने। काफी समय के बाद,अंत में अरबा की मदद से उन आंकड़ों की मध्यमान निकाला। फिर अपनी और अपने कुटुम्बवासियों की ऊंचाई को जोड़ा,उस पर भी अरबा लगाकर मध्यमान निकाला।जब दोनों औसत मूल्यों की तुलना की गई, तो गणितज्ञ बाबू बड़ी शान से खड़े हो गए। वह इसलिए, क्योंकि गणना के परिणाम उनके पक्ष में निकले थे। 

उनके परिवार जनो की ऊचाई की मध्यमान नदी की गहराई के औसत से अधिक था। इसलिए इठलाते हुए बोले-'किसी की चिंता करने की आवश्कता नहीं है।हम सब बिना किसी डर के नदी पार कर सकते है।कोई डूबेगा नही। आओ सब लोग मेरे पीछे-पीछे......'ऐसा कह महोदय पानी में उतर गए। उनका ऐसा होंसला देखकर और उनकी विद्ता पर पुरा भरोसा करते हुए परिवार के सभी सदस्य भी बेझिझक उनके  पीछे-पीछे चलने लगे।

गणितज्ञ बाबू को अपनी गणित पर कोई संदेह नही था। थोड़ा देर तक सब ठीक था। लेकिन फिर अचानक इनके कानों में चीखने-चील्लाने की आवाजें पड़ीं। उन्होंने जब पलटकर देखा,तो पाया कि परिवार के बच्चे डूब रहे थे। गणितज्ञ बाबू अपनी भौहें सिकोड़ते हुए बोले-'ऐसा कै से संभव है?मेरी गणना में गड़बड़ नहीं हो सकती। लेकिन ये बच्चे क्यों....?' अपनी सिर खुजाते हुए बोले-'अरबा ज्यों की त्यों,फिर कुन्बा डूबा क्यों?'

इसलिए कहा जाता है कि पुस्तकीय ज्ञान से लदी बुद्धि सही निर्णय नही ले सकती। जीवन में अनुभव का होना भी बहुत जरूरी है। ईश्वर के सम्बन्ध में भी यही बात लागू होती है।अक्सर बहुत से लोग अनेक प्रकार के वेद-शास्त्र,ग्रंथ इत्यादि पढ़कर खुद को ईश्वर का भक्त मानने लगते है। चर्चओं तर्क-वितर्क में उलझे रहते है। अपना बुद्धिक ज्ञान के आधार पर स्वंय को सर्वश्रेष्ठ समझा बैठते है और सबसे बड़ी बात यह है कि केवल विद्धता और शास्त्रीय ज्ञान से भवसागर पार नहीं किया जा सकता। जो ऐसा करने की सोचेगो,वह खुद भी डूबेगा और अपने पर आश्रित लोगों को भी ले डुबाएगा।   

 

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